धड़कता तो दिल पहले भी था ,
हर नए क़दम पर धड़कता था ,
कभी किसी की निगाह पर धड़कता था
तो कभी किसी ख़्याल पर धड़कता था ,
शायद जवानी के जज़्बात पे धड़कता था !
धड़कता तो दिल आज भी है !
हर उठते क़दम पर धड़कता है ,
तारीक़ नज़र पर धड़कता है ,
जज़्बातों को दफ़्न करने पर धड़कता है ,
धड़कनें तो वही हैं जनाब पर वक्त की धड़कनें अब ख़िलाफ़ हैं ।
माला जोशी शर्मा
kya khub kaha…….
dhadktaa ab bhi hai …..kal bhi thaa,
magar anter hain.
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Thank you so much Madhusudan ji .
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Swagat apka.
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बहुत ही सुंदर रचना 👌
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🔥🔥 शानदार लेखन 🙂🌻❤
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😀🙏
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