मेरी नातिन के जन्मदिन पर मेरे उद्गार ।
अक्सर सोचती हूं मैं
तुमसे पहले कैसी थी ज़िन्दगी ?
जैसे पुराने थेगली लगे कपड़ों सी
स्वाद जैसे बिन नमक का अधपका खाना सा
हवाएं यूं ही मौसम सी बस बदलती रहीं
महसूस जैसे कुछ होती थी ही नहीं !
फिर अचानक तेरे आने की आहट मिली
मौसम कुछ बदला , लेकिन बेख़बर सा
एहसास कुछ बदला लेकिन बेहिसाब सा
फिर दबे पांव , घर के दरवाज़े से बासंती हवा सी तू भीतर आई ,
आंखों में तारे टिमटिमाती तू , घर की मुस्कान लाई ,
ज़िन्दगी भी नया रुप ले , रंग बिखराती आई ,
जैसे पकवानों की थाल हर स्वाद भर लाई
अब सोचती नहीं हूं मैं ,
बस तेरी एक मुस्कान से प्याला भर -भर पीती है ज़िन्दगी ।
बेहद खूबसूरत!!
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आपका आभार और हृदय से धन्यवाद ।
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आदर सहित आपको नमन 🙏🙏
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बुढ़ापे का तनिक भी आभास नही,
तुम आए जीवन में,
इससे बड़ी कोई सौगात नही,
जो रब ने हमें प्रदान किया,
जीवन में नया जान दिया।
बहुत बहुत बधाईयां। मेरे तरफ से भी।
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बिल्कुल सही कहा आपने । मेरी नातिन अब बड़ी हो गई है , उसके जन्मदिन पर लिखा । आपका हृदय से आभार और धन्यवाद ।
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स्वागत आपका।
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शानदार कृति मैम 👌👌👌
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बहुत ही प्यारी रचना है ma’am, रिष्वा का चेहरा ही आँखों मे ठहर गया सुनकर।😊😊👏👏👏👏👏💞
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Thank you so much 💟
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